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बनारस पुस्तक मेला

मोतीलाल मानव उत्थान समिति, वाराणसी
दिनांक 11 से 17 नवम्बर 2024
वर्ष 1996 ईo से अनवरत 29 वर्ष

पुस्तक मेला वर्ष 2022, पंचम दिवस, स्वास्थ्य
किडनी रोगों से बचाव के लिये बीपी ब्लड सुगर को नियंत्रित रखें। -डॉ. राहुल सिंह

वाराणसी,11 नवम्बर, मोतीलाल मानव उत्थान समिति, कुशवाहा भवन, चन्दुआ छित्तूपुर में आयोजित 27वें बनारस पुस्तक मेला के पाँचवे दिन ’किडनी रोगों से बचाव एवं सुरक्षा’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोलते हुये के पूर्व सीएमओ वाराणसी, डॉ. राहुल सिंह ने कहा कि भारत की 15 से 20 प्रतिशत जनसंख्या किडनी रोगों से प्रभावित है। यह बीन्स सेप में मुट्ठी के साईज के बराबर पेट के अन्दर लीवर के नीचे फैला होता है। पेशाब की मात्रा में कमी, चेहरे पर आँख के नीचे सूजन बीमारी का प्रमुख लक्षण होता है। पैर में सूजन हृदय की बीमारी का लक्षण तथा पेट में सूजन लीवर की बीमारी का लक्षण होता है। पेशाब में प्रोटिन का आना माइक्रोएल्बूमिन की मात्रा का बढ़ना इसका मुख्य कारण है। यह पेशाब की जांच से पता चलता है। किडनी की बीमारी का सही पता लगाने के लिये पेशाब के साथ खून की जांच अवश्य करानी चाहिये। जिसमें क्रीयेटिनीन एवं यूरिया की जांच अवश्य हो। किडनी का प्रमुख कार्य शरीर के अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालना होता है। एक किडनी में 10 लाख नेफ्रॉन होता है, दोनो किडनी में 20 लाख होता है। उसमें ग्लोमेरुलस होता है जो अपशिष्ट पदार्थो को छानता है। ब्लड का पीएच संतुलित करता है।

पीएच डिस्टर्ब होने से बेसिक मेटाबॉलिज्म डिस्टर्ब हो जाता है। संतुलन बिगड़ने पर बायकार्बोनेट एवं इलेक्ट्रोलाईट बाहर से देना पड़ता है। बीपी की शिकायत व खून कमी परिलक्षित होती है। यूरिया एवं क्रीयेटिनीन का लेवल हाई होगा तो डायलिसिस कराना पड़ता है। ब्लड सुगर टाईप-1 व टाईप-2 डायबिटिज से किडनी रोगों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिये ब्लड सुगर को नियंत्रित रखकर ही किडनी को सुरक्षित रखा जा सकता है। पेशाब के रास्ते में संक्रमण, बार-बार पेशाब होना, ऐंटीबायटिक का अत्यधिक प्रयोग, डब्ल्यूबीसी 16 लाख से अधिक होने पर, पेषाब के रास्ते में पथरी हो, तो तुरन्त चेकअप कराना चाहिये। पानी कम पीने से किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है। 3 से 4 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिये। मिलावटी खाद्य पदार्थ से बचें। भारत में मिलावटी खाद्यपदार्थों एवं भारी तत्व से किडनी ज्यादा खराब होती है। बाहरी एवं खुले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें। पेनकिलर एवं ऐंटिबायटिक दवाओं का अत्यधिक सेवन बचें। भारत में 50 लाख गुर्दों की जरुरत है लेकिन उतने डोनर नहीं है। सब्जियों व फलों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें और प्रतिदिन व्यायाम अवष्य करें।

भदोही, मिर्जापुर के सेवानिवृत, होमियो चिकित्सक, डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि गुर्दे की पथरी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और होमियोपैथिक ईलाज के द्वारा गुर्दा रोगों से बचाव किया जा सकता है। बीपी व सुगर नियंत्रित रखना चाहिये।

इस अवसर पर डॉ. आनन्द कुशवाहा, पंकज श्रीवास्तव, लालजी, किशोर कुमार, पारसनाथ दूबे, मिठाई लाल, अनिल श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहें।

कार्यक्रम का संचालन प्रबंधक, मिथिलेश कुमार कुशवाहा तथा धन्यवादज्ञापन सचिव, एम.एस. कुशवाहा ने किया।

चित्रमाला
आयोजक
मोतीलाल मानव उत्थान समिति
पंजीकृत कार्यालय : सी 33/52-10 कुशवाहा भवन, चंदुआ, छित्तुपुर (सिगरा स्टेडियम के पीछे रोड पर), वाराणसी 221002
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