25वें बनारस पुस्तक मेला का समापन |
वाराणसी, 29 नवम्बर, कुशवाहा भवन, चन्दुआ छित्तूपुर में आयोजित 25वें बनारस पुस्तक
मेला के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि, उपनिदेशक, क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, गोरखपुर
के डॉ. नरसिंह राम ने कहा कि समाज में नि:स्वार्थ भाव से कार्य हो रहा है, महापुरुषों की भीड़
में ज्यादा भीड़ हो यह जरुरी नहीं। पुस्तक मेला युवा पीढ़ी को सन्देश देने का प्रयास होता है। बच्चों
को पुस्तक पढ़ने को प्रेरित करना चाहिये। अख़बार और किताब पढ़ने का शौक पैदा करना चाहिये।
चौरी-चौरा का वृहद् इतिहास किताबों से ही मिलेगा। आयुर्वेद एवं टेक्नोलॉजी के बारे में किताबों के
द्वारा ही ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। किताब पढ़ने से सृजनशीलता पैदा होती है। हाईकोर्ट के
अधिवक्ता, बैरिस्टर सिंह ने कहा कि 25 साल बेमिशाल। जब भगत सिंह को फांसी दी जाने वाली
थी तब वह पढ़ रहे थे। किताबें व्यक्ति के विचारधारा को बदल देती हैं। किताबें सृजनशीलता को
बढ़ाती है। विशिष्ट अतिथि, सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता, अशोक सहगल ने कहा कि पुस्तक एवं डिजिटल
ग दोनों का अपना-अपना स्थान है। हम इनका प्रयोग, कभी भी कहीं भी 24 घंटे कर सकते है।
जनउपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन कर सकते है। लीगल सीरीज को आम जनता को सुलभ करा सकते है।
इन्टरनेट के साथ पुस्तक के संपर्क में भी रहना चाहिये। वरिष्ठ पत्रकार, कुमार विजय ने कहा कि 1998 से
पुस्तक मेला में आ रहे है। पुस्तक से लगाव रहा। पुस्तकें दृष्टिगत बदलाव लाती है। पुस्तकें विश्व की
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराती हैं। बिना पुस्तकों के सही जानकारी नहीं मिलती
है। अध्यक्षता कर रहे महात्मा जे. एफ. पब्लिक स्कूल के प्रबंधक, मोतीलाल शास्त्री ने कहा कि
कर्म अच्छा करते है तो सब कुछ अच्छा है। संघर्ष करो, अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी
पुस्तकों से ही मिलती है। पुस्तक आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है हमारे लोग शिक्षित होते तो अंग्रेजो द्वारा
गुलाम न बने होते। अधिकारों के साथ कर्तव्यों का ध्यान रखा जाना चाहिये। आधी रोटी खायेंगे, बच्चों
को पढ़ायेंगे। शिक्षा से ही बुद्धी का विकास होता है। अध्यात्म के साथ विज्ञान की किताबें पढ़नी चाहिये।
मन चंगा, तो कठौती में गंगा। पुस्तकें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। संस्था के अध्यक्ष, अवधेश कुमार
कुशवाहा धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कहा कि किताबों के द्वारा जीवन को सहज बनाया जा सकता है।
उन्होंने ‘बना रहे बनारस’ पुस्तक की चर्चा की तथा प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया, पत्रकार बन्धुओं,
तथा पुस्तक मेला के आयोजन में सम्मिलित सभी लोगों को धन्यवाद् दिया। मेला में कानूनी ज्ञान श्रृखला
की पुस्तकें ज्यादा बिकी।
इस अवसर पर राधेश्याम मौर्या, मृत्युंजय पाण्डेय, पिंटू कुण्डू, मनीष उपाध्याय, अंकुर श्रीवास्तव,
लाल जी, मिठाईलाल कुशवाहा, अलकबीर तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। संचालन
मिथिलेश कुमार कुशवाहा ने किया।