हम भारत के लोग पर आधारित शिक्षा होनी चाहिये
वाराणसी, 24 नवम्बर, कुशवाहा भवन, चन्दुआ छित्तूपुर में आयोजित 25वें बनारस पुस्तक मेला के दुसरे दिन
“एक राष्ट्र, एक शिक्षा नीति” पर आयोजित परिचर्चा में संस्था के सचिव, एम.एस. कुशवाहा ने विषयवस्तु को रखते
हुए कहा कि शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो व्यक्ति को सकारात्मक सोच प्रदान करती है और लोगों को अपने अधिकार
एवं कर्तव्यों की जानकारी देती है। शिक्षा ही विकास का मार्ग है। प्राचीन काल से ही, भारत शिक्षा में विश्व गुरु रहा है।
टेक्नोलॉजी ने मनुष्य के सोच को प्रभावित किया है। शिक्षा में गुणवत्ता का अभाव है और बाजारीकरण के कारण शिक्षा ने व्
यक्ति के ज्ञान को प्रभावित किया है। आज की शिक्षा साध्य न बनकर साधन बनकर रह गयी है, ये चिंता का विषय है।
34 वर्ष बाद शिक्षा नीति में किया गया परिवर्तन क्या दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा? क्या बेरोजगारी की समस्या को
दूर किया जा सकता है? क्या बढती हुई आबादी के कारण सर्वसुलभ व्यवस्था बनायी जा सकती है? एक राष्ट्र, एक शिक्षा
से अमीर-गरीब के बच्चे एक साथ पढ़ सकें, ऐसी व्यवस्था करने की आवश्यकता है। 21 वीं सदी के लिए नई शिक्षा नीति
एक दिशा देगी लेकिन इसके प्रभाव का भी मूल्यांकन वृहद् स्तर पर करने की जरुरत है। संविधान में समान शिक्षा की बात
कही गयी है, समाज के सभी वर्गों के लिये एक समान शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। भारतीय संविधान की जो एक मूल
भावना है “हम भारत के लोग” उसको ध्यान में रखकर एक शिक्षा होनी चाहिये, जिससे गरीब-अमीर मध्यम वर्ग सभी लोग
शिक्षा ग्रहण कर सके।
समाजशास्त्र के प्रवक्ता, डॉ. दिनेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमें ऐसी पालिसी चाहिये, जिससे एक गरीब का बच्चा भी
उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके। डॉ. रमेश कुमार कुशवाहा ने कहा कि तर्क संगत युक्त शिक्षा होनी चाहिये। संस्कृत के प्रवक्ता,
डॉ. मनीष उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से होना चाहिये । एक राष्ट्र, एक शिक्षा का अलख जगाने
से जो हम सबको परंपरागत विद्याओं से लाभान्वित समाज को एक नई दिशा दे सके ।
गौरव कुशवाहा ने कहा कि शिक्षा नीति पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये और एक ठोस निर्णय पर पहुँचाना चाहिये । पुस्तक मेला में ‘बनारस लॉकडाउन’, साहित्यिक पुस्तकें तथा तकनीकि ज्ञान की पुस्तकें लोगों ने खरीदी। इस अवसर पर राधेश्याम मौर्य, अभय चौधरी, सुनील कुमार, अमन तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे, संचालन एम.एस. कुशवाहा ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन अवधेश कुमार कुशवाहा किया। पुस्तक मेला की गतिविधियों को www.banarsabookfair.com पर भी देखा जा सकता है।